Interesting BackStory Of HO JAMALO Song | Sindhi Song | Hojamalo Sindhi Popular Song
Interesting BackStory Of HO JAMALO Song in Hindi
मुँहिंजो खट्टी आयो ख़ैरसां – होजमालो – सिन्धी लोक गीत के पीछे छीपा इतिहास , जो कि बहुत कम लोग जानते हैं।
यह सिन्धी लोक गीत आपने लगभग हर सिन्धी समुदाय के आयोजन में सुना होगा । इस गीत की पहली लाइन है
मुँहिंजो खट्टी आयो ख़ैरसां – होजमालो अधिकांश सिंधी लोगों को भी इस गीत के इतिहास के बारे में पूरा ज्ञान नहीं है। दरअसल, इस गीत के पीछे एक कहानी है ।
सन 1889 में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल के दौरान , पूरे देश में रेलवे लाइन डाली गई थी। जिसके तहत अविभाजित भारत के सिंध प्रांत के सखर शहर के बीच से बहती , सिंधु नदी के ऊपर एक रेलवे ब्रिज बनाया गया ।
जब ब्रिज बनकर तैयार हुआ तो उस काल में रेलवे के किसी भी ड्राइवर ने यह हिम्मत नहीं हुई कि उस ब्रिज के ऊपर टेस्ट करने के लिए रेल गाड़ी लेकर चला जाये। क्योंकि उस ब्रिज के नीचे तेज गती से बहती सिंधु नदी का बहाव इतना तेज था कि किसी भी दुर्घटना होने पर निश्चित तौर से उस ड्राइवर की मौत का कारण बन जाए। और इतनी बड़ी धनराशि से बनाया गया यह ब्रिज , मात्र इसलिए काम में नहीं लिया जा रहा था कि उस पर टेस्टिंग होना बाकी था। उस काल की ब्रिटिश सरकार के लिए यह एक बहुत बड़ी सिरदर्दी बन गया था।
जमालो खासो सिंधी नामक एक कैदी ने ब्रिटिश सरकार को एक पत्र लिखा। उस कैदी को ब्रिटिश सरकार ने फांसी की सजा सुना दी थी। पत्र में जमालो ने लिखा कि मे बतोर ड्राइवर रेल गाड़ी चला कर उस ब्रिज की टेस्टिंग के लिए अपनी जान का जोखिम लेने के लिए तैयार हु। शर्त रखी कि यदि मे रेलगाड़ी ब्रिज के पार लगा देता हूँ तो आप मेरी सजा माफ करेंगे और मुझे जेल से आजाद कर देंगे । जिस पर ब्रिटिश सरकार राज़ी हो गयी। सरकार ने दो महीने का प्रशिक्षण देकर जमालो को रेल गाड़ी चलाना सिखाया। टेस्टिंग वाले दिन जमालो बुजुर्गों के पैर छूकर उस रेल गाड़ी पर ड्राइवर बनकर सवार हो गया।
यह दृश्य देखने के लिए सिंध प्रांत में बसे सैकड़ों लोग जमा हो गए। और जमालो की ज़िंदगी के लिए दुआ मांगने लगे। रेलगाड़ी ने चलना शुरू किया तो लोगों की सांसें थम गईं।जमालो ने ईश्वर का नाम लेकर लिवर खींचा और धीरे-धीरे रेलगाड़ी आगे बढ़ी। एक बार तो लोगों को लगा कि अब जमालो नहीं बचेगा। लेकिन रेलगाड़ी ब्रिज पार कर गई।
जैसे ही जमालो रेलगाड़ी सहित सकुशल ब्रिज के पार लेकर पहुंचा तो वहां मौजूद सारे लोग मारे खुशी के नाचने लगे। ब्रिज के पार खड़ी अपने पति की जान की दुआ मांगती जमालो की बीवी के मुंह से मारे खुशी के अनायास यही शब्द निकले –
मुँहिंजो खट्टी आयो ख़ैर सां – हो जमालो
जिसका शाब्दिक अर्थ है – मेरा जीत के आया खैर से – हो जमालो यानी कि मेरा पति सकुशल मृत्यु से जीत कर जिंदगी के इस पार आ गया है । वहां मौजूद सैकड़ों लोग हो जमालो के नारे लगाने लगे।
तब से यह लोक गीत सिन्धी सम्प्रदाय की संस्कृति में प्रविष्ट गया। सदा से सिन्धी समुदाय के लोग खास तौर से इस लोक गीत को जब जब भी कहीं विजयश्री प्राप्त होती है। तब तब यह गीत बतौर शुभ शगुन मान कर गाते हैं । और साथ साथ नाचते भी हैं ।
यह गीत और इसके पीछे छिपी यह दंतकथा सिन्धी समुदाय की हिम्मत और जोखिम उठाने की क़ुब्बत का आईना है । जिसके सम्मुख सिन्धी समुदाय का हर व्यक्ति खड़ा होकर गौरवान्वित महसूस कर सकता है।
Interesting BackStory Of HO JAMALO Song in English
Mhinjo Khatti Aayo Khairesan – Hojmalo – The History Behind The Sindhi Folk Song, Which Is Known By Very Few People.
You Must Have Heard This Sindhi Folk Song In Almost Every Sindhi Community Event. The First Line Of This Song Is – Mouninjo Khatti Aayo Khairesan – Hojmalo Most Sindhi People Also Do Not Have Complete Knowledge About The History Of This Song. There Is A Story Behind This Song.
During The Reign Of The East India Company In 1889, Railway Lines Were Laid Across The Country. Under Which A Railway Bridge Over The Indus River Was Built, Flowing Through The City Of Sakhar In The Sindh Province Of Undivided India.
When The Bridge Was Ready, None Of The Railway Drivers In That Period Dared To Take A Train To Test The Bridge Over It. Because The Speed Of The Indus River Flowing Under The Bridge Was So Fast That Any Accident Would Lead To The Death Of The Driver. And This Bridge, Built With Such A Large Amount Of Money, Was Not Being Used Only Because It Was Yet To Be Tested. For The British Government Of That Period, It Had Become A Big Headache.
A Prisoner Named Jamalo Khaso Sindhi Wrote A Letter To The British Government. The Prisoner Was Sentenced To Death By The British Government. In The Letter, Jamalo Wrote That As A Driver, I Am Ready To Risk My Life To Test The Bridge By Driving A Train. Stipulated That If I Put The Train Across The Bridge, Then You Will Forgive My Sentence And Free Me From Jail. On Which The British Government Agreed. The Government Taught Jamalo How To Train By Giving Two Months Of Training. On The Day Of Testing, Jamalo Touched The Feet Of The Elderly And Rode The Train As A Driver.
Hundreds Of People Settled In Sindh Province To See This Scene. And Started Praying For Jamalo’s Life. When The Train Started Running, The People Stopped Breathing. Jamalo Drew The Liver In The Name Of God And Slowly The Train Moved Forward. Once People Thought That Jamalo Would No Longer Be Alive. But The Train Crossed The Bridge.
As Soon As Jamalo Reached Across The Safe Bridge Including The Train, All The People Present There Started Dancing With Joy. Jamalo’s Wife, Praying For Her Husband’s Life Standing Across The Bridge, Spontaneously Uttered The Words Of Happiness –
Mouninjo Khatti Aayo Khair Saan Ho Ho Jamalo
This Means That My Victory Has Come Well. Ho Jamalo, That Is, My Husband Has Come To This Side Of Life After Winning By Safe Death. Hundreds Of People Present There Started Raising Slogans Of Jamalo.
Since Then, This Folk Song Has Entered The Culture Of The Sindhi Community. People Of The Sindhi Community Have Always Enjoyed This Folk Song Whenever They Get Vijayashree. Then Sing This Song As An Auspicious Omen. They Also Dance Together.
This Song And The Legend Hidden Behind It Mirror The Courage Of The Sindhi Community. In Front Of This, Every Person In The Sindhi Community Can Stand Up And Feel Proud.